कि कह तोह नहीं सकती के इश्क है तुम्से!
पर इस ख्वाहिश कि कोइ और नाम भि नही जानती
कि कह तोह नही सक्ती के मेरे हो तुम,क्यों कि बस पता ही तो चला है
और कहुं भि तोह क्या, कि मेरा पता होना ही यकीन है ,
या ये कहुं कि नहीं कह सक्ती, कि मेरा पता होना मुझे भि पसन्द नहीं
तुमको देख्ने कि हर्कत क्या थि, तुम्से बाते करने कि जिद क्या थि,
तुम मेरी हर बात को याद राख्ने कि जतन करते हो,
कैसे कहुं कि मैं तुम्से कि हुयी बात को सुन्ती हुं हरपल
कि मुझ में इत्नी भि धीरज नहीं कि तुम्हे सुन सकुं
पर यकीन मानो, तुम सुनाओगे ना जिस दिन,
सबकुछ एक्तर्फ और तुम एक्तर्फ
मैं तुम्हारे लिये सिख लुंगी
सुन्ना और समझना भि ।
कि कह्ती तोह हुं कि तुम्हारे लिये ये करुंगी वोह करुंगी
पर ये सब भि तो मेरे लिये ही है!
क्यों कि मुहब्बत तो मुझको है, याद है?
तुम्हे खोने का खौफ है मुझे, तो तुम्हे ये कभी नही दिखाउंगी
तुम्हारे सामने जित्ने भि फुद्दु गिरी कर सक्ती थि, मुझे लग्ता है कि कर चुकी
अब और कर्ने को कुछ बचा नही लगता
पर आज तुम्हारी बात नही सुना थी, वोह याद नहोनेसे मन को जो ठेस लागि, वो बता नही सकती
तुम्से कहा नही है अभी,
पर मेरा दिल चह्ता है इत्नी हिम्मत जुटाना कि तुमको देख सकुं,
और जानते हो? यह देखनेकी चाहत कुछ और बढ्ती है
हर रोज हर पल ....
कि सिर्फ तुम्हे देख पाने के लिये मे जित लुङी खुद को
कि सिर्फ तुम्हारे पास रहने के लिए,
सब्को जो लगे, उससे बेपर्वाह है दिल
बस तुम मुझ्को इस्कद्र समझना
कि औरो कि जरुरत पडे ना कभी
कि मुहब्बत तुम्को भि हो,
कि चाहत तुम्को भि हो,
कि शिद्दत और लगाव तुम्को भि हो,
मेरे मौज से सुरु और मेरे ध्यान पे खतम हो ये कारवा
मेरे सप्नो से सुरु हो और मेरे सासों पे खतम हो ये कारवा
I love you!